में जब बीबी के साथ May 2017 में बैंगलुरु गया था तब उसकी स्त्री मित्र विरल पांचाल की हाथ की लकीर को न देख में कुछ हैरान हुआ था। संजोग थे की लाइट चली गई थी और वापिस आई तो लकीर को भी लेके आई। चंद्रमा की उजास या बैटरी की प्रकाश में यह तजुर्बा मेरी उस वक्त चमकीली आंख का रहा था।
वैसा ही एक और वाकिया मेरे साथ मेरे बड़े साले के नए घर के तेरह वे मंजिल पर उसके बेटे के पैरो की लकीर की फोटो निकाल ने की चेष्ठा की तो रहा। यह कर्म की दिन अवधि 22 march 2023 की है।
यहां उसके टेबल पे रखे पैर की तस्वीर हे। शायद लकीर डेवलप mod me हो। आप भी देख सके इसी लिए लगाई हे। अभी मिली तो तब ब्लॉग आगे बढ़ा।
बच्चे के जन्म समय मां के गर्भ में कुछ नही सिर्फ वायु विचरण होता हे।
विधाता के लेख भी छठ के दिन आते है।
ज्योतिष शास्त्र में महत्तम लोग हाथ, लेकिन कुछ पैर देखने के बाद भविष्य बताते हे।
जैसे विरल की हाथ की लकीर नहीं थी वैसे ही यहां जीत के पैर की लकीर नहीं है।
मेरा एक मित्र अल्पेश शाह जो कलोल स्थित है, उसी के पास से मेने जाना की लोग अपने बच्चे के अच्छे भविष्य के लिए तारीख, समय निर्धारित करके, चिकित्सक को पेट चीर के, सिजेरियन करके बच्चे को दुनिया में लाने की कुचेष्टा करते हे।
जिससे जन्म घटिका एवं तिथि से उसका भविष्य अच्छा बन सके!!!!!!!!!
क्या हम यह समझ सकते ही की जिसके हाथ पैर की कोई लकीर न हो तो वह उसका भाग्य खुद बना सकता हे? गर्भ संहिता में भी जीव को मां बाप चुनने का अधिकार कहा गया है। बात बीज के प्रावधान करने कराने हेतुक सोच समझ कर लिखी हुई किताब में मिलती है।
लकीर के बारे में यह एक विशेष स्पंदन रहा है मेरा।
अनुभव आपभी बताना अगर है ही तो। देखिए सुनिए यह प्रचलित चल चित्र विधाता का गीत। जो तकदीर और तदबीर की बात कहता है।
संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, शब्द बक्षी के हे।
ओ ओ ओ हाथो की चंद लकीरो का हाथो की चंद लकीरो का
सब खेल है बस तकदीरो का सब खेल है बस तकदीरो का
तकदीर है क्या मैं क्या जानू
अहा अहा उहू उहू
तकदीर है क्या मैं क्या जानू तकदीर है क्या मैं क्या जानू
मैं आशिक हू तदबीरो का मैं आशिक हू तदबीरों का
हाथो की चंद लकीरो का
तीरी तिताम तीताम
ता रे तीताम तीताम
तीरी तिताम तीताम
ता रे तीताम तीताम
तीरी तिताम
ता रे तीताम
तीरी तिताम
ता रे तीताम
ता रा रा रा रा रा हा
ओ ओ ओ ओ ओ
अपनी तकदिरो से कौन लडे पनघट पे प्यासे लोग खड़े
अपनी तकदिरो से कौन लडे पनघट पे प्यासे लोग खड़े
ओ मुझको करने है काम बड़े काम बड़े ओ यारा काम बड़े
ओ लाले काम बड़े है शौख तुझे तकदीरो का
है शौख तुझे तुझे तकरीरो का मैं आशिक हू तबदिरो का
हाथो की चंद लकीरो का
ओ ओ ओ ओ ओ
मैं मालिक अपनी किस्मत का मैं बंदा अपनी हिम्मत का
मैं मालिक अपनी किस्मत का मैं बंदा अपनी हिम्मत का
ओ ओ ओ ओ ओ
देखेंगे तमाशा दौलत का यारा दौलत का हो यारा दौलत का
हम वेश बदल के फकिरो का हम वेश बदल के फकिरो का
देखेंगे खेल तकदीरो का
तकदीर है क्या मैं क्या जानू तकदीर है क्या मैं क्या जानू
मैं आशिक हू तकदीरो का
हाथो की चाँद लकीरो का
ला ला रम पम पम ला ला रम पम पम
ला रा ला रा ला रा ला
ला ला रम पम पम ला ला रम पम पम
ला रा ला रा ला रा ला
ला ला रम पम पम ला ला रम पम पम
ला रा ला रा ला रा ला
तक़दीर यानी चुने हुए “द” का ईर यानी शरीर सीधी भाषा में नसीब।
तदबीर यानी पृथ्वी पे देखे e गए या छूटे हुए “द” का “ब” कार युक्त ईर यानी शरीर। प्रयास या जफरनामा।
शीव शंकर का एक नाम पशु पाश पति नाथ भी हे
जय गुरुदेव दत्तात्रेय
जय हिंद
जिगरम जैगिष्य जिगर:
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