विषय-- यज्ञ की सूची
अध्याय 1
गायत्री यज्ञ
जपयोगिता और आवश्यकता
दैनिक जीवन में अग्निहोत्र की आवश्कता
गायत्री और पज "अजस्र" विभूतियों के भण्डार
गायत्री और यज्ञ का तत्वज्ञान
ज्ञान और विज्ञान के शक्ति स्रोत गायत्री और यज्ञ
अध्याय-२
यज्ञ की अनिर्वचनीय महत्ता
यज्ञोऽयं सर्वकामधुक्
यज्ञो वै श्रेष्ठतम कर्म
जीवन को यज्ञमाय बनाएँ
अन्नम बाह्ये वेदः
'यज्ञ' भारतीय दर्शन का इष्ट आराध्य
यज विश्व का सर्वोत्कृष्ट दर्शन
मनीषियों की दृष्टि में यज्ञ
कल्याण का श्रेष्ठम मार्ग- यज्ञ
जीवन यज्ञ की रीति-नीति
सारा जीवन ही यज्ञमय बने
यज्ञ द्वारा देवों का आवाहन
हे पवित्र। अपनेको यज्ञ में जोंक दे
यज्ञ द्वारा देवो का आह्वाहन
देश-शक्तियों का सन्तुलन
यज्ञ द्वारा देव-शक्तियों को तुष्टि
यज्ञों से देव-तत्वों की परिपुष्टि
यज्ञ से सम्पूर्ण जगत का पालन कैसे?
यज्ञपुरुष और उसकी महिमा
हिन्दू धर्म में यज्ञों का स्थान तथा प्रयोजन
वेदों में यज्ञ की महिमा
उपनिषदों में मज्ञ-रहस्य का वर्णन
गौता में यज्ञ की महिमा
रामायण में यज्ञ-चर्चा
श्रीमद्भागवत में यज्ञ माहात्म्य
महाभारत में यज्ञ
पुराणों में यज्ञ-माहात्म्य के
सिख धर्म और बज्ञ-हवन
वेद में यज्ञों का बैज्ञानिक स्वरुप
यज्ञ से रोग निवृत्ति
यज्ञ से सूक्ष्म-शक्ति का प्रादुर्भाव
यज्ञ से परिपूर्ण वर्शा
प्राण-शक्ति को अभिवृद्धि
उत्तम सन्तान की प्राप्ती
पशुओं को परिपुष्टि
अक्षय कीर्ति का विस्तार
यज्ञ द्वारा मानिसक पवित्रता
याज्ञा द्वारा प्रसा और मेधाबुद्धि की प्राप्ती
यज्ञ द्वारा परमात्म दर्शन
यज्ञ से मोक्ष प्राप्ति
अध्याय 3
यज्ञ के विविध लाभ
यज्ञ हवन से सुखों को खरीदते हैं
यज्ञ से सुसन्तति की प्राति
शत्रु-संहार में यज्ञ का उपयोग
यज्ञ द्वारा पापों का प्रायश्चित
यज्ञ तारा तीर्थों की स्थापना
यज्ञ से आम-शान्ति
त्रिशंकु की स्वर्ग यात्रा
यज्ञ कर्ता अहणी नहीं रहता
यज्ञ द्वारा तीन ऋणों से मुक्ति
बाना-अनुष्ठान विभिन्न प्रयोजनों की पूर्ति
सकाम यज्ञों का रहस्यमय विज्ञान
यज्ञ द्वारा विश्व शान्ति की सम्भावना
अध्याय-४
विश्व कल्पतरू यज्ञ
'यज्ञ' ज्ञान और विज्ञान का भाण्डागार
यज्ञ का महान तत्वज्ञान
यज्ञोयत्र पराक्रान्तः
यह संसार यज्ञ है
मानव समुदाय का सुसंगठित स्वरूप ही मनुष्य यज्ञ है
मनुष्य का सुव्यवस्थित-जीवन ही यज्ञ है
यज्ञ के प्रकार
ब्रह्म यज्ञ
देव यज्ञ
पितृ-यज्ञ
नृ यज्ञ
भूत बलि या वैश्व देव यज्ञ
यज्ञ का क्षेत्र
यज्ञ प्रयोजन
अध्याय 5
गायत्री यज्ञ विधान
यज्ञाग्नि की शिक्षा तथा प्रेरणा
यज्ञ और पशुबलि
यज्ञ पर असुरता के आक्रमण
यज्ञ महा अभियान की सम्भावित कठिनाइयाँ ।
यज्ञ को सहयोग
यज्ञ में रहीं हुई त्रुटि
यज्ञ में पालन करने योग्य नियम
ब्राह्मदेव कृत सामूहिक पज्ञ
भ्रांति का निवारण
यज्ञ विरोध की जांच
यज्ञ के हवन च समिधा सामग्री
यज्ञ का मुहूर्त
कुण्ड एवं मण्डप का निर्माण
कुण्डों की रचना एवं भिन्नता का उद्देश्य
कुराह और उनकी संख्या
यज्ञशाला, यज्ञमण्डप और उसका निर्माण
श्रौत और स्मार्त यज्ञों में प्रयुक्त यज्ञीय पदार्थ
यज्ञ में मन्त्र-शक्ति के प्रखर प्रयोक्ता
यज्ञ से सूक्ष्म संस्कार का समुद्भव
यज्ञ-प्रायोजन में सुसंस्कारिता का समावेश
अध्याय-६
यज्ञ कर्मकाण्ड प्रकरण
बड़े और छोटे यज्ञ के हवन का क्रम
अतिसंक्षिप्त हवन
यज्ञीय कर्मकाण्ड प्रकरण (कर्मकाण्ड प्रारम्भ)
साधनादि पवित्रीकरण
यज्ञ संचालन
मंगलाचरण
पवित्रीकरण
आचमन
शिखा-बन्धन
प्राणायाम
अभिसिंचन
अघमर्षण
न्यास
पृथ्वी-पूजन
संकल्प
यज्ञोपवीत परिवर्तन
चन्दन धारण
अथ वरण
आचार्य प्रार्थना
ब्रह्मावरण
ऋत्विगावरण
रक्षा-सूत्र
कलश-स्थापना
दीपपूजन
गणेश-गौरी पूजन
पुरुष-सूक्तम्
षोडशोपचार देव पूजन
पंचोपचार
षोडशोपचार पूजन
पुल्लिंग रूप से षोडशोपचार पूजन
स्त्री रूप से षोडशोपचार पूजन
अथ नवग्रह स्थापना-पूजन
प्रार्थना
गायत्री-आवाहन
गायत्री अष्टक
छ: दिशाओं में देव स्थापन एवं पूजन
देवों का आवाहन
सर्व देव नमस्कार
पंचवेदी स्थापना
अथ अन्तरिक्ष सूक्तम् (प्रधान येदी)
अथ अग्नि सूक्तम् (अग्नि कोण)
अथ वरुण सूक्तम् (नैऋत् कोण)
अथ वायु सूक्तम् (वायव्यकोण में)
अथ भू सूक्तम् (ईशान में)
स्विष्टकृत भोग
सर्वदेव-स्थापन के लिए सर्वतोभद्रचक्र
मण्डल वाह्यक श्वेतपरिद्यो उत्तरादि क्रमेण
गदाद्यष्टायुध देवता स्थापनम्
मण्डल बाह्ये रक्तपरिधौ उतरादि क्रमेण
गौतमाद्यष्ट देवता स्थापनम्
मण्डल वाह्ये कृष्णपरिधौ पूर्यादिक्रमेण
ऐन्द्र आदिअष्टदेवता स्थापनम्
लघु-सर्वतोभद्र-मण्डल पूजन
स्वस्ति-वाचन
रक्षाविधान
पंच भू संस्कार
कुण्ड प्रतिष्ठा एवं मेखला पूजन
प्रथम मेखला (ब्रह्मा, रंग, सफेद) का पूजन मन्त्र
मध्यमेखला पूजन मन्त्र (देवता विष्णु, रंग लाल)
अन्तिम मेखला पूजन मन्त्र (देवता रुद्र, रंग काला)
पंचामृत
कुश-कण्डिका
अत्र वा ब्रह्मावरणं कुर्यात्
ततो ब्रह्मा वृतोऽस्मि
ततो वर्हिषापरिस्तरणम्
प्रोक्षण
अग्नि स्थापना एवं पूजन
स्तवन पाठ
अग्नि प्रदीपनम्
समिधाधान
जल प्रसेचन
आज्याहुति
पंचवारुणी होम
नवग्रहाणां होम
नवग्रहाऽधि देवता होम
नवग्रह प्रत्यधि देवता होम
पंच लोकपाल होम
दशदिक्पाल होम
सर्वतोभद्र मण्डल देवता होम
प्रधान देव का होम गायत्री की आहुति
स्विष्टकृत होम
पूर्णाहुति होम
वसोर्धारा
बर्हि होम
ततो ब्रह्मग्रन्थि विमोकः
तर्पण
नीरंजन आरती
घृत-अवघ्राण
भस्म-धारण
क्षमा-प्रार्थना
साष्टांग नमस्कार
शुभकामना
शान्ति अभिसिंचन
पुष्पाजंलि
सूर्यार्घ्य दान
प्रदक्षिणा
दिक्पालों को बलिदान
बलिदान क्रिया
बुराइयाँ
अच्छाइयाँ या सद्गुण
बलिदान-संकल्प
क्षमा-प्रार्थना
यज्ञ भगवान की स्तुति
विसर्जन
अथाऽभिषेक:
तिलक एवं फलदान
दक्षिणावाद का स्वरूप
अध्याय-७
दैनिक उपासना में अग्निहोत्र का समावेश ।
सरल संक्षिप्त हवन-विधि
पवित्रीकरण
आचमनम्
प्राणायम मन्त्र
न्यास:
पृथ्वी पूजनम्
कलश पूजनम्
देव पूजनम्
सर्वदेव नमस्कारम्
षोडशोपचार पूजनम्
स्वस्तिवाचनम्
रक्षाविधानम
अग्नि स्थापनम
गायत्री स्तवन
समिधाधानम्
जल प्रसेचनम
आज्याहुति होमः
स्विष्टकृत होमः
पूर्णाहुति
आरती
घृत अवघ्राण
भस्म धारण
क्षमा-प्रार्थना
साष्टांग नमस्कार
शुभकामना
अभिसिंचनम्
आरती गायत्री जी की
यज्ञ की महिमा
अर्घ्यदान
प्रदक्षिणा
विसर्जनम्
अध्याय-८
आर्यसमाज की हवन पद्धति
ईश्वर स्तुति-प्रार्थनोपासना मन्त्राः
अथ शान्ति प्रकरणम्
आचमन मन्त्राः
अंग स्पर्श:
कार्यारम्भ
अग्न्याधानम्
अग्नि प्रदीपनम्
समिधा धानम
घृत सिंचनम्
जल प्रसेचनम्
होमाहुति
आधारावाण्याहुति
आज्याभागाहुति
प्रात:काल हवन मन्त्रा:
सायंकाल हवन मन्त्राः
गायत्री मन्त्रः
पूर्णाहुति
अध्याय-९
गायत्री यज्ञों की विधि-व्यवस्था
यज्ञ का आध्यात्मिक स्वरूप
मानव प्रगति का मूलतत्त्व
सुख शान्ति की आधारशिला
विकृतियों का निवारण
संसार की सर्वोत्तम सेवा
अग्निहोत्र के लाभ
वैज्ञानिक आधार
पुरोहित की मार्मिक शिक्षा
लोक-शिक्षण का प्रखर माध्यम
आन्दोलनात्मक व्यापक प्रयत्न
क्रियाकृत्य की विधि-व्यवस्था
उपयोगिता ध्यान में रखी जाय
इन बातों का स्मरण रखें
इन प्रवृत्तियों को पनपाया जाय
बलिदान की तैयारी
गायत्री यज्ञों के स्मारक
अवांछनीय मूढ़ताएँ न अपनायें
युग निर्माताओं का प्रशिक्षण
भावनाओं का परिष्कार-मूल प्रयोजन
अध्याय-१०
गायत्री यज्ञों की विधि व्याख्या
जलयावा
यज्ञशाला-प्रवेश
पवित्रीकरण
आचमन
शिखा बन्धन
प्राणायाम
न्यास
पृथ्वी पूजनम
यग्नोपवित धारण
वरण
संकल्प
दिप पूजन
कलश पूजन
पंचवेदी स्थापनम
सर्वतोभद्रमण्डल पूजन
षोडशोपचार पूजन
पंच वेदी पूजन
देव पूजन
नमस्कार
चन्दन धारण
स्वस्ति वचन
रक्षा विधान
पंच भू संस्कार
कुंड प्रतिष्ठा
मेखला पूजन
कुश कंडिका
प्रोक्षण
अग्नि स्थापन
गायत्री स्तवन
अग्नि प्रदीपन
समिधा धान
जल प्रसेचन
आज्याहुति होम
गायत्री मंत्र आहुति
स्विष्ट कृत भोग
बलिदान संकल्प
स्विष्ट कृतहोम
पूर्णाहुति
वसोधारा
आरती
धृत अवध्राण
भस्म धारण
क्षमा प्रार्थना
स अष्ट अंग नमस्कार
शुभकामनाएं
मन्त्र पुष्पांजलि
अभिसिंचन
सूर्य अर्घ्य दान
प्रदक्षिणा
सत्संकल्प पाठ
जय गुरुदेव दत्तात्रेय
जय हिंद
This is in link of my past experience of blogs details ... Read again the same book in 2020 September... see the link
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