Friday, September 25, 2020

ची मन की ऊर्जा

✍ फिकर न करे लोग भूल जाते हे लेकिन अल्लाह नहीं भूलता ना आपकी नेकी ना दुसरो की ज्यादती।

गन्ने में जहाँ "गाँठ" होती हैं वहाँ "रस" नहीं होता, 
जहाँ "रस" होता हैं वहाँ "गाँठ" नहीं होती, 

अल्लाह याद क्या रखता है, रसूल क्या कहता है?

वही बात दूसरी तरफसे की राम क्या कहे लक्ष्मण क्या करे?

वेदोक्त ज्ञान तो कर्म को अकर्म से विकर्म तक ओर मूल कर्म की बात को फल स्वरूप तोर पर स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीर से मनुष्य को समज़ा चुका है। 

प्रश्न है कि वह बात आजकी दुनिया मे कौन कैसे समझता है ओर क्या करता है?

ओर ये बात कुछ ऐसे में समझौते से कहूं तो, ऐसे रहेगी शायद,

"महीने की 32 तारीख को सूर्योदय होते ही 25वे घण्टे पर, जैसेकि किसीकी शादी का मुहूर्त होना।"

एक बचपन की बात याद थी गुजरातके भूतपूर्व जनता दलीय CM चिमनभाई पटेल के बारेमे उदाहरणीय तोर पर टांकी है।

वे चोर को कहते थे चोर तू चोरी कर। पोलिस को भी कहते थे , देखो वह चोर चोरी कर रहा है। जब पोलिस चोर को पकड़े तो चोर अगर कहे, मुझे तो चिमन ने ही कहा था। तो चिमन कहता, में तो कहूं पर तेरी बुद्धि क्या घास चरने गई थी? और अगर कहा भी है तो वह कागज़ बता, क्या लिख के दिया है?

नाम भले ही भूतपूर्व राजकीय नामांकित व्यक्ति का है पर नाम का अर्थ है "ऊर्जा वाला मन"।

चीन प्रान्त में "ची" मतलब ऊर्जा और "न" मतलब "हमारी" ओर जिसे नियंडरथल कहते है, उनकी आंख छोटी, ओर दबा हुआ नाक पहले से है, वही तिब्बती, मंगोलियन, चायनीज़, जापानीज, कहलाये।

दबे हुए नाक से ऊंची पहाड़ी की पतली हवा को गर्म रख कर , नासिका के उच्चारण वाले शब्द बोलके मगज को भी चेतान्वित करके जीवन व्यतीत करते थे वह निएंडरथल।

आज के दिनमे संस्कृत लोग कम बोलते है पर उसका शब्दाव्यय उच्चारण सभी जगह मातृका के रूपमे मौजूद है।

सबको अपनी मनोरंजित नही पर मनोर्जित अच्छी ऊर्जा को संभालना चाहिए।

जय गुरुदेव दत्तात्रेय।

जय हिंद

जिगर महेता / जैगीष्य
 पोस्ट ऑफिस, नवजीवन बिल्डिंग, आश्रम रॉड, 
अमदावाद, गुजरात, भारत, (मेरी माँ जिगिषा)

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