Monday, August 28, 2023

आदित्य L(लेंगरीजियन)१

क्या हे आदित्य-एल1 मिशन?

सूर्य का करीब से अध्ययन करना और महत्व पूर्ण जानकारी मानव सभ्यता को बचाने हेतु संकलित करके पृथ्वी पे भेजना।

•सूर्य के वायुमंडल और चुंबकीय क्षेत्र की जानकारी प्राप्त करने का प्रयास।

•सूर्य के कोरोना, सौर उत्सर्जन, सौर हवाओं और फ्लेयर्स, और कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) का अध्ययन।

• यह मिशन अध्ययन के लिए सात पेलोड (उपकरण) से सुसज्जित।

• यह सूर्य की चौबीसों घंटे इमेजिंग करेगा।

सूर्य का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण?

•पृथ्वी और सौर मंडल से परे प्रत्येक ग्रह विकसित होता है; विकास मूल तारे द्वारा नियंत्रित।

•सौर मौसम और पर्यावरण पूरे सिस्टम के मौसम को प्रभावित।

•मौसम में बदलाव- उपग्रहों की कक्षाओं को बदल सकते हैं; उनके जीवन को कम, पृथ्वी पर पॉवर ब्लैकआउट।

•अंतरिक्ष के मौसम को समझने के लिए सौर घटनाओं का ज्ञान महत्वपूर्ण।

•तूफानों के बारे में जानने और उन पर नज़र रखने और उनके प्रभाव की भविष्यवाणी करने के लिए, निरंतर सौर अवलोकन।

•सूर्य से निकलने वाला और पृथ्वी की ओर जाने वाला प्रत्येक तूफान L1 से होकर गुजरता।

•सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के L1 के चारों ओर हेलो कक्षा में रखे गए उपग्रह से सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देखा।

•L1. लैग्रेजियन/ग्रेज प्वाइंट 1 को संदर्भितः पृथ्वी सूर्य प्रणाली के कक्षीय तल में पाँच बिंदुओं में से एक।

•अंतरिक्ष में स्थित बिंदु: जहाँ दो अंतरिक्ष निकायों (जैसे- सूर्य और पृथ्वी) के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण आकर्षण एवं प्रतिकर्षण का क्षेत्र उत्पन्न होता है।

•उपयोग प्रायः अंतरिक्षयान द्वारा अपनी स्थिति बरकरार रखने के लिये आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने हेतु।

•पार्कर सोलर प्रोब ने सूर्य की उड़ान के दौरान 1000 डिग्री सेल्सियस से अधिक के तापमान का सामना

कितनी हीट सह सकेगा आदित्य-एल1??

. आदित्य-एल1 को इतनी गर्मी का सामना नहीं; क्योंकि नासा के मिशन की तुलना में यह सूर्य से बहुत दूर

• अन्य चुनौतियों भी हैं-

> मिशन के लिए कई उपकरण और उनके घटक पहली बार भारत में निर्मित

> देश के वैज्ञानिक, इंजीनियरिंग और अंतरिक्ष समुदायों के लिए एक अवसर के रूप में एक चुनौती हे।



कुछ मेरे मन की बात:

1720 से 2020 तक: ब्रह्मांड ने कैसे हर 100 साल में महामारियों ने मानवता को खतरे में डाल दिया है?

1720 में प्लेग,
1820 हैजा,
1920 स्पैनिश फ़्लू,
2020 कोरोनावाइरस।

ऐसा लगता है कि 100 साल में एक बार दुनिया किसी महामारी से तबाह होती है।

मेरा इसरो को सुझाव है कि वह हर 100 साल में सूर्य के रोड मैप का भविष्य का सटीक रास्ता खोजे.. ताकि हम अपनी पृथ्वी को मजबूत बना सकें.. वैसे भी वह पार्कर के साथ मिलकर शायद ढूंढ सकते है। 
वह नासा और isro का ज्वाइंट साहस दुनियां को लाभदायि हो सकता हे।
सूर्य का पादना आवश्यक हे।
यदि सूर्य अपना पाद खो रहा है तो हम महामारी से बहुत पीड़ित हो रहे हैं। 
यूट्यूब पर संदिग्ध पर्यवेक्षक चैनल उक्त विषय पर अधिक प्रगतिशील वाक्यों की व्याख्या करते हैं।
नासा को अभी भी सूर्य का पथ कहां होगा, वह रोड मैप नहीं मिल रहा है।

खुशी के पल
जय गुरुदेव दत्तात्रेय
जय हिंद

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